ये गरीबी भी कमाल की होती है

ये गरीबी भी कमाल की होती है
ये हालात भी कमाल की होती है
रहता नही जब दो निवाला पास मेरे
तो भूख भी कमाल की होती है

हम जिंदा है तो नेता वोट मांगते है नाम से मेरे
ये राजनीति भी साहब कमाल की होती है ।।
बरसो बीत गए देखते देखते राह छप्पर के सर पे
उन नेताओं की कोठी भी कमाल की होती है ।।
हम जब मर जाते है भूख और प्यास के
फिर उनके भाषण भी कमाल की होती है ।।
याद है मुझे वो चुनाव भी ,जब हमें रोटी कपड़ा मकान मिलना था
साहब जीतने के बाद उनके तेवर भी कमाल की होती है ।।
कई नेता जो एक कमरे में रहते थे,आज मेरे नाम पे कमाई
उनकी दौलत भी कमाल की लगती है।।
हम गरीब है साहब ,पैदा ही नेताओ के लिए हुए है ,चुनाव के वक़्त बड़े बड़े वादे मिलते है हमे मुफ्त में ,कोई कहता है ,ये देंगे,वो देंगे लेकिन आखिर में हमारे हिस्से दो निवाले के अभाव में सिर्फ मौत आती है ।।
हमारे नाम पे राजनीति करने वाले राजनेता आज 1000 करोड़ो की दौलत जमा कर चुके है उनके बच्चे विदेश में पढ़ते है ,और हम आज भी दो वक्त की रोटी के लिए मर रहे है ,हमारे बच्चे आज किसी दुकान में किसी फैक्ट्री में अपना बचपन खो रहे है क्या कहे हम अपनी दास्तान छोड़िये नही समझेंगे आप लोग ।।
गरीब ही तो है साहब कभी भूख से मरते है
तो कभी शर्दी से ,तो कभी लू लग जाती है ।।
यही है हम गरीबो की दास्तान ........।।

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